जैसा की आपको पता है
मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक हूँ तो संघ में भी घुमक्कड़ी का बड़ा महत्व है।
लेकिन उसको यहाँ एक नाम दिया गया है वह नाम है वन विहार। ऐसा ही दिल्ली
प्रान्त के तीन विभाग पश्चिमी दिल्ली, झंडेवाला विभाग (मध्य दिल्ली) और यमुना विहार विभाग (यमुना पार
का क्ष्रेत्र)
का एक वन विहार का कार्यक्रम बना 8,9,10 जुलाई को जिसमे हमे हरिद्वार डोईवाला ( लच्छीवाला) और पौंटा
साहिब जाना था।
कार्यक्रम बहुत ही मज़ेदार होने
वाला था तो अपने यमुना विहार विभाग से भी अच्छी खासी संख्या हो गई 53 स्वयंसेवक सभी को एक जगह इखट्टा करने के
लिए अपने विभाग कार्यालय नन्द नगरी बुला लिया 8 जुलाई 2016 को रात 8:30 बजे बहुत हलचल थी कार्यालय पर थोड़ी देर बाद हमारे विभाग
के सह विद्यार्थी कार्यवाह श्रीमान हरीश जी कार्यक्रम की भूमिका समझाने लगे
वह बताने लगे के हम संघ के स्वयंसेवक है तो उसी तरह से कार्यक्रम
पूरा करना है। वास्तव में जब इतनी संख्या में अगर कोई और संस्था कहीं लेकर
जाती है तो उनके हाथ पाँव कांप जाते है लेकिन यह संघ का कार्यक्रम है
तो यहाँ पहले से सब कुछ तय होता है, और संघ के स्वयंसेवक में व्यवस्था बनायें रखना अच्छे से आता
है। तो भाई साहब
ने कार्यक्रम की रुपरेखा सबको बतायी। लगभग 10 बज चुके थे सब मिल जुल कर भोजन करने लगे
अपने नितिन जी बोले चलो भाई साहब गाडी में से हम अपना सामान निकल लाते है हम बाहर सामान
निकालने गए और वापिस आकर कार्यकर्ताओं के साथ भोजन किया।
11:00 बजे अधिकारियों का
इशारा हुआ के चलो बाहर बस खड़ी है वहां सभी बस में चलेंगे। जब बस
तक स्वयंसेवक पहुँचे तो कुछ कहने लगे भाई साहब AC वाली बस बताई थी ये तो ऐसी ही है। आखिर
ये तो समझने वाली बात है सिर्फ 500 रु शुल्क में कैसे AC वाली बस कैसे होती..???? और विभागों ने तो 1000 और 800 रु शुल्क लिया है। बस लगभग चल पड़ी 11:30
बजे और भोपुरा से पहले दिल्ली में ही डीज़ल भरवाया। दिल्ली
में UP के मुकाबले पेट्रोल,
डीजल के दाम सस्ते है। और उसके बाद अब बस
रुकी सीधे ग़ाज़ियाबाद। पूछा तो जो बाकी दो विभाग है उनकी बस आ रही है थोड़ी देर
बाद झंडेवाला की बस आयी और पश्चिमी की बस अभी बहुत पीछे थी शायद ITO
के पास ही होगी तो ज्यादा इन्तजार करना ठीक नहीं समझा। और
दोनों बस चल पड़ी मेरठ ही पहुची थी के वहां हमारी बस का पंचर हो गया करीब आधा घंटा टायर बदलने
में चला गया और वह पश्चिमी की बस भी आ गई। फिर वहां से तीनो साथ चले और थोड़ी
देर बाद हाईवे पर खतौली में अलखनंदा ढाबे पर बस रुकी वहां सबको चाय पिलवाई गई। फिर
वहां से बस चल पड़ी। नींद भी काफी तेज़ आ रही थी अब मैं सो गया और जब थोड़ा
दिन निकला तो बस रुड़की पहुँच गयी थी मुझे काफी तेज लघुशंका (पेशाब) आ रहा
था। थोड़ी ही देर बाद करीब 5:30 बजे हरिद्वार आ गया।
शंकराचार्य चौक के रास्ते बस सीधे ऋषिकेश रोड, भूपतवाला, निष्काम सेवा ट्रस्ट जाकर रुकी करीब 6
बज रहे होंगे। वहां जाते ही सबसे पहले लघुशंका के लिए
गया फिर देखा तो बहुत बढ़िया व्यवस्था एक AC हाल में गद्दे लगाये हुए थे ताकि सब एक साथ
विश्राम कर सके। AC बस
तो मिली नहीं लेकिन
AC कमरे मिल जाने से
स्वयंसेवक बहुत खुश नज़र आ रहे थे। थोड़ी देर बाद सभी स्नान के लिये पास ही गंगा घाट पर
गये वहां से नाहा कर आये तो 2 सत्रों में बैठक थी जिसमे
प्रवासी कार्यकर्ता निर्माण के विषयों पर चर्चा हुई।
दोपहर में भोजन के बाद करीब
2 बजे हम निकल पड़े। फिर
वहां से सीधे पहुंचे भारत माता मंदिर। जहाँ 7 मंजिल मंदिर का दर्शन करने के बाद सभी
स्वयंसेवक एक जगह मंदिर के प्रांगण में एकत्र होकर गीत भजन करने लगे। गीत भजन की
गूंज से वहां
का वातावरण मानो कृष्णमयी हो गया हो। मानो देवो के देव महादेव स्वयं वहां हमारे बीच में
भजन कर रहे हो। भारत माता की जय के गगन भेदी जयघोष कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार
करने लगे। उसके बाद हम हर की पौड़ी पहुंचे वहां स्नान करने लगे बहुत दिनों
बाद मैंने भी गंगा स्नान किया था। उसके बाद गंगा माँ की पवित्र आरती में
सबको सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। शाम के 8 बज चुके थे वहां से सीधे हम पहुंचे
निष्काम सेवा ट्रस्ट
जहाँ रुके थे। वहां भोजन किया फिर सो गए। क्योंकि पूरे दिन के थके हुए थे। अगले दिन का
सफर शुरू हुआ सुबह 7:30 बजे
से। हम वहां से अपना सारा सामान लेकर निकल पड़े अब दोबारा हरिद्वार
नहीं आना था। फिर लगभग 8:30 बजे
हम पहुंचे
लच्छीवाला मैं वहां पहले भी कई बार गया हूँ लेकिन कई कार्यकर्ताओं का पहला अनुभव था जो
वहां बहुत ही आनंद महसूस कर रहे थे वहां सब जमकर नहाएं, मस्ती करी प्रकृति का आनंद लिया। थोड़ी
देर बाद हरीश जी शुरू हो गए चलो चलो जल्दी करो। जो कार्यकर्ता फोटो
खींचते हरीश जी उनपर भड़क जाते। आखिर उनका भड़कना ठीक था आखिर देर जो हो रही
थी। फिर वहां से डोईवाला पहुंचे पास ही था वहां हमने अल्पहार किया। संघ में
नाश्ते को अल्पहार कहा जाता है। छोले भटूरे खाकर मज़ा आ गया जिसकी सारी
तैयारी उत्तराखंड के स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं ने ही करी थी। फिर वहां एक
सत्र बैठक हुई जिसमें वहां के कार्यकर्ताओं का परिचय हुआ व आगामी
कार्यक्रमो पर चर्चा हुई करीब 1 बज
रहे होंगे
फिर वह से सीधे पौंटा साहिब के लिए निकल पड़े लगभग 2 घंटे बाद हम पांवटा साहिब गुरूद्वारे पहुंचे।
पांवटा साहिब सिख
धर्म में एक धार्मिक
स्थल के रूप में प्रचलित है। यह हिमाचल के सिरमौर जिले के दक्षिणी ओर की तरफ यमुना नदी
के तट पर स्थित है। गुरुद्वारा पांवटा साहिब सिख धर्म के दसवें सिख गुरु गोबिंदसिंह जी और सिख
नेता बंदा बहादुर को समर्पित है। इसे पौंटा साहिब भी कहा जाता है जो
पावंटा का ही अपभ्रंश रूप है। पांवटा या 'पौंटा' का अर्थ होता है- 'पैर जमाने की जगह'। ऐसा माना जाता है कि गुरु गोबिंदसिंह जी
आनन्दपुर में प्रस्थान करने से पहले पांवटा साहिब रुके थे और पांवटा साहिब में ही उन्होंने दसम
ग्रंथ की रचना की थी। इस धार्मिक स्थल पर सोने से बनी एक पालकी है जो कि
एक भक्त द्वारा ही यहां भेंट में दी गई थी।
श्री तलब स्थान और
श्री दस्तर स्थान इस सिख मंदिर के अन्दर दो महत्त्वपूर्ण स्थान हैं।
श्री तलब स्थान में वेतन बांटा जाता है और श्री दस्तर स्थान में पगड़ी
बांधने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
गुरुद्वारे के परिवेश
में एक संग्रहालय है जहां पर उस समय के हथियार और गुरु जी की कलम
संरक्षित रखी गई है। गुरुद्वारे से एक पौराणिक मंदिर भी जुड़ा हुआ है जो कि
यमुना देवी को समर्पित है। गुरुद्वारे के समीप कवि दरबार है जो
कविताओं की प्रतियोगिता के लिए इस्तेमाल में आता है। खैर वहां हमने
लंगर चखा उसके बाद गुरूद्वारे में गुरु की आराधना की फिर एक सत्र और बैठक का था
यह समापन सत्र था। फिर वहां से निकले करीब 7 बज रहे थे और लगभग 7:30 बजे बस चली और सहारनपुर के रास्ते हम सब दिल्ली वापिस आ गए
और यात्रा 11 जुलाई
2016 की सुबह दिल्ली में
समाप्त हुई।
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मेरठ में जब पंचर हुआ तब भी लग गए फोटो खींचने |
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अलखनंदा खतौली में चाय पीते हुए स्वयंसेवक |
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अलखनंदा खतौली में चाय का आनंद लेते बायें से ललित जी, हरीश जी, राजेश जी, दीपक जी और सागर जी |
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AC हॉल में मजेदार कक्ष व्यवस्था |
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भारत माता मंदिर में मैं |
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स्वयंसेवको के गगनभेदी गीत भजनों से गूंज उठा भारत माता मंदिर का प्रांगण |
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गीत करते हुए प्रान्त विद्यार्थी कार्यवाह श्रीमान राजेश जी |
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माँ गंगा की पवित्र आरती |
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लच्छीवाला वाटरफॉल |
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लच्छीवाला में मस्ती करते ललित जी के साथ स्वयंसेवक कार्यकर्ता |
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वाह मज़ा आ गया |
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लच्छीवाला में मस्ती करते स्वयंसेवक तथा बनियान में मैं |
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वाह मस्ती का समय |
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गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब |
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गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब |
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मस्ती करते निशांत जी |
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पांवटा साहिब में यमुना किनारे हम सभी |
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सभी एक साथ |
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बस में भी मस्ती |
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निष्काम सेवा ट्रस्ट के बाहर |
wah man prasann ho gaya.....aisa laga jaise main bhi bhoom ayya.....
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteati sunder
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर भाई हितेश जी । मैं खुद भी आरएसएस से जुड़हुअ हूँ । आपकी यात्रा और पोस्ट के तो कहने ही क्या । सुन्दर सुन्दर सुन्दर भाई उत्तम उत्तम उत्तम भाई
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteबहुत सुन्दर लेख है आपके, हितेश शर्मा जी क्या आप यमुना विहार रहते हो ? मैं ब्रह्मपुरी में रहता हूँ ..... आपके ऊपर फोटो में दीपक मेरा सहपाठी रह चुका और सागर, हमारे रिश्तेदार संजीव दीक्षित जी का बेटा .है......
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