पटना वाटरफॉल |
45℃ तापमान में क्या हाल होता है ये हर कोई जानता है। इंसान तो इंसान बेचारा बेज़ुबान जानवर भी परेशान रहता है। तो ऐसी भीषण गर्मी से बचने के लिए मन रास्ते ढूढ़ने लगा। आखिर कहाँ जाया जाए.?
यदि दिल्ली के सबसे नजदीक कुछ है तो वह हरिद्वार है। मन में भी सबसे पहले हरिद्वार का नाम आया। वैसे तो वहां भी गर्मी ही है लेकिन पहाड़ की तलाई में बसा हरिद्वार दिल्ली से तो कई गुणा ठीक है।
10 मई 2017 को दोपहर निकल गया जन शताब्दी एक्सप्रेस से हरिद्वार के लिए। इस ट्रेन में मुझे यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। रात 8 बजे मैं हरिद्वार पहुंचा और वहां नानी के घर ही दोस्त को बुलवा लिया उसके साथ खाना खाया और सुबह ऋषिकेश पटना वाटरफॉल जाने का कार्यक्रम बनाया।
वैसे तो हरिद्वार ऋषिकेश में सब जगह घूमा ही हूँ इस बार लेकिन दोस्तों के साथ मज़ा कुछ और ही है।
सुबह करीब 10:30 बजे हम 1 बाइक से 3 जने हरिद्वार से निकले। मौसम बिलकुल सुहावना बना हुआ है। मन कहता है बस हम यूं ही चलते जायें। चंडी घाट पहुंचे थे कि मैंने बाइक हाइवे से न लेकर चिल्ला के रास्ते को मोड़ दी। माँ गंगा के साथ साथ बाइक चलाना बेहद शानदार लग रहा था। और उस दूर क्षितिज की चोटी तो बस ये बयां कर रही थी ये रास्ता कभी खत्म न हो।
वाह क्या रास्ते है |
साथ साथ माँ गंगा |
इस रास्ते पर नेटवर्क थोड़े कम आते है तो अब सीधे ऋषिकेश बैराज जाकर ही रुके। रुकना इसलिए हुआ क्योंकि 11 बज गए थे और मुझे तत्काल की कल दिल्ली जाने की टिकट करानी थी। यहाँ नेटवर्क भी ठीक ठाक आ रहा था। और फिर चल दिए यहाँ से अब सीधे नीलकंठ रोड पर वहीं जाकर रुके जहाँ से पटना वाटरफॉल का छोटा सा ट्रैक शुरू होता है। बाइक साइड लगाई और ट्रैक शुरू कर दिया।
ऊपर से नीचे आता झरने का पानी |
रास्ते मे एक घुफ़ा भी मिली |
वाटरफॉल के पास एक दुकान |
थोड़ी सी पैदल ट्रैकिंग करने के बाद एक शानदार झरना देखने को मिलता है। जो रास्ते की थकान को एकदम दूर कर देता है। मैं अक्सर कहता हूँ अपनी घुमक्कड़ी के दौरान कि जब रास्ते इतने शानदार हो तो मंजिल कितनी शानदार होगी इसकी मात्र कल्पना ही की जा सकती है।
शानदार पटना वाटरफॉल |
मैं शिवम और शशांक |
खैर झट से हमने कपडे उतारे और लग गए नहाने। नहाने के बाद आत्मशांति का अनुभव हुआ। और कुछ देर यहाँ ध्यान भी लगाया। इस स्थान पर ज्यादा भीड़ नहीं थी बस कुछ 5-6 लोग होंगें। वैसे इस वाटरफॉल के बारे में बहुत कम लोग जानते है। यहाँ थोड़ा समय बिताने के बाद हम निकल पड़े। लक्ष्मण झूला आदि कई बार आ चुका हूँ इसलिए यहाँ रुकना ठीक न समझा हर यहाँ से हम सीधे त्रिवेणी घात के पास आकर रुके और बढ़िया नान खाये 30 रू प्लेट और फिर सीधे हरिद्वार कनखल आ गए।
आज के लिए इतना ही अगली बार आपको किसी और जगह की यात्रा पर लेकर जायेंगे तब तक आप कहीं मत जाइयेगा ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ।
आपका हमसफर आपका दोस्त
हितेश शर्मा
बढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद पाहवा जी
Deleteबहुत बढिया घुमक्कड़ी का उदाहरण दिया आपने... मजा आ गया
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया सचिन जी...
Deleteइतना बढ़िया लेख साझा करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteThanks for sharing this post. Your all pictures are wonderfull .
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