केदारकंठा ट्रैक (भाग-2)

केदारकंठा ट्रैक थकावट ज्यादा होने के कारण हम रात को खाना खाते ही सो गए थे। इस यात्रा वृतान्त को आरम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें…

मैं थोड़ा समय से जल्दी सो गया था जिस कारण से सुबह मेरी नींद जल्दी खुल गई और वैसे भी मुझे सुबह जल्दी उठने की आदत है देखा तो रिज़ाई से बाहर बहुत सर्दी है और अभी प्रदीप जी नितिन जी और विकास जी सो रहे है। इन दोनों को देखकर तो मेरा मन भी सोने का होने लगा लेकिन अपने अनूप जी रजाई में से मुंह बाहर निकाल कर जगे हुए है। तभी उन्होंने मुझसे कहा कि बाहर चलकर सुबह के नजारों की फोटो खींचते हैं। तभी इतने में विकास जी भी उठ गए। विकास जी को आज थोड़ी देर में ही देहरादून जाना है फिर वह देहरादून से दिल्ली जाएंगे और दिल्ली से उन्हें बैंकॉक की फ्लाइट पकड़नी है बेचारे विकास जी बहुत मन से हमारे साथ यहां सांकरी गांव तक आए हैं उनका मन तो नहीं है जाने का लेकिन फिर भी काम का सिलसिला होता ही ऐसा है। खैर वह जाने के लिए तैयार होने लगे और हम बाहर के नजारों की फोटो खींचने लगे अभी हल्का हल्का ही दिन निकला है।

तभी  लगभग 10 मिनट बाद विकास जी भी आ गए। क्योंकि सांकरी से देहरादून जाने वाली बस अभी 7:10 पर सांकरी से देहरादून के लिए जाएगी। जब हम विकास जी को बस स्टैंड तक छोड़ने गए तो देखा बस वहां खड़ी हुई थी और बस वाला चाय पी रहा था तभी हम तीनों ने भी साथ चाय पी और विकास जी को बस में बैठा कर देहरादून के लिए विदा कर दिया।


अभी 8:30 हो रहे हैं ठीक धूप भी निकल रही है और मैंने नितिन जी और  प्रदीप जी को उठाया दोनों उठ गए आखिर समय भी उठने का हो ही रहा था। कुछ देर में फ्रेश होकर गये और सारा सामान साथ लेकर हमने यह लॉज खाली कर दिया और नाश्ता करने के लिए गए नितिन जी ने पोर्टर को यहीं बुलवा लिया। पोर्टर पहले से नाश्ता करके आया था। उसने हमारे साथ नाश्ता नहीं किया हमने जल्द से यहाँ पहाड़ के मज़ेदार आलू के पराठें और चाय का नाश्ता किया और चल पड़े। थोड़ी आगे चले तो बायीं हाथ पर नीचे जाकर जो लॉज है पोर्टर ने उसमे हमारा अधिक सामान वहां रख दिया। फिर हम सीधे चल पड़े। अभी लगभग 2

किलोमीटर चले तो दो रास्ते थे एक तो सीधे जूड़ा का तालाब जा रहा था दूसरा दायीं हाथ की तरफ से हरगांव को रास्ता जा रहा था। हम हरगांव वाले रास्ते पर आगे बढे जुड़ा का तालाब आते वक़्त जाएंगे। मन में इच्छा यह है कि आज ही जम सबमिट कर आएं खैर देखते है पहुँच पाते है या नहीं। अभी रास्ता बिलकुल साफ़ है मतलब अभी बर्फ हमारे रास्ते में नहीं है। लेकिन हरगांव से थोडा सा पहले रास्ते में बर्फ मिलने लगी। ट्रैक पर अब सफ़ेद चादर बिछी है। कुछ ही देर में हम हरगांव पहुँच गए यहाँ टेंट लगे हुए थे। और एक कैंटीन भी थी मेरा और नितिन जी का मन नहीं थी रुकने का लेकिन कैंटीन से चाय की इतनी बढ़िया खुश्बू आ रही थी कि हमने यहाँ हमने  20 मिनट चाय की चुस्की में लगाये साथ में कुछ फोटू भी खींची।

फिर बिना रुके हम पहुंचे मुनायिला बुग्ग्याल यहाँ से हमे केदारकंठा की चोटी ऐसे दिख रही थी जैसे पास ही हो। हमे ये लगने लगा था कि जैसे हम आज शाम तक शिखर पर पहुँच जायेंगे इसलिए जोश के साथ हमारी गति में थोडी तेजी आ गई। यहाँ बर्फ काफी अधिक पहले कि ही पडी हुई है। अभी धुप भी निकल रही है। जिस कारण से फोटू बढ़िया आ रहे है। थोड़ा आगे चले तो हम पहुंचे लुहुसु बेस कैंप जो 10525 फ़ीट की ऊंचाई पर है। यहाँ से एक पूरा ग्रुप वापिस सांकरी जा रहा था और हम ऊपर की और जा रहे थे। खैर यहाँ हमने कुछ देर रुकर खाना खाया आलू पूरी मेरा मन तो नहीं था ये खाने का लेकिन पेट भरना था मगर एक कौर खाते ही बहुत शानदार स्वादिस्ट लगी जिस कारण से मैंने 8-10 पूरी खाई और पेट भी भर गया। यहाँ का नज़ारा इतना आलोकिक है कि शब्दों में वर्णन करना संभव नहीं है। आप फोटू देखकर ही समझना कितना सुन्दर नज़ारा है।

कुछ देर बाद हम सबसे ऊपर टॉप पर पहुँच गए जहां सिर्फ एक छानी बनी थी जो आजकल कैंटीन बन चुकी थी। यहाँ से शिखर पर 300 मीटर ऊपर है। काफी थकावट भी हो रही है सबका ऐसा विचार बना कि आज आराम करते है सुबह शिखर को छू कर आएंगे। वैसे तो हम अपने टेंट भी लाये है साथ में लेकिन छानी काफी बड़ी है इसलिए इसमें रुकना हमने ज्यादा बढ़िया समझ। काफी देर से कुछ खाया पिया भी नहीं था तो बढ़िया सूप बनवा कर पिया जो हमारा पोर्टर नीचे से साथ लाया था। थोड़ी शरीर में गर्मी आ गयी। वैसे तो अलाव भी जल रहा है। लेकिन यह क्या कुछ ही देर में भयंकर बर्फ़बारी होने लगी। जिसका हमने छानी से बाहर जाकर खूब आनंद लिया।


यहां हमने स्वादिष्ट नाश्ता किया

मैं हूँ जी

अपने अनूप जी

रास्ते से दिखता हर की दून का मनमोह नज़ारा

बर्फ मिलनी शुरू, कठिन रास्ता है थोड़ा सुस्ता लिया जाए


मनमोहक दर्शय और मैं



वीर तुम बढ़े चलो

वाह क्या कहने

ये रही छानी आज इसी में रूकेंगे

बहुत ठण्ड है बाहर, भयंकर बर्फ़बारी हो रही है


यूट्यूब पर वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें…
आज के लिए इतना ही अगले भाग में आपको केदारकंठा का सबमिट करा के लाएंगे और जूड़ा का तालाब भी लेकर जायेंगे। तब तक आप कहीं मत जायेगा ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ। तब तक खुश रहिये, मस्त रहिये स्वस्थ रहिये।
आपका हमसफर आपका दोस्त
हितेश शर्मा

Comments

  1. आंनद आ गया लग रहा है आंखों देखा देख लिया हो। बहुत ही उम्दा लेखन

    ReplyDelete
  2. बढ़िया वर्णन !

    ReplyDelete
  3. बढ़िया लेखन। जाने की इच्छा मन में उठने लगी है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद जी बिल्कुल चलिए इस दिसम्बर में ग्रुप लगे है अपने...

      Delete
  4. Replies
    1. बहुत धन्यवाद जी...

      Delete

Post a Comment